मिथ्यात्वक्रिया
From जैनकोष
साम्परायिक आस्रव की पच्चीस क्रियाओं में दूसरी मिध्यात्वर्द्धिनी क्रिया । इससे मिथ्या देवी-देवताओं की स्तुति पूजाभक्ति आदि में प्रवृत्ति होती है । हरिवंशपुराण 58.62, 65
साम्परायिक आस्रव की पच्चीस क्रियाओं में दूसरी मिध्यात्वर्द्धिनी क्रिया । इससे मिथ्या देवी-देवताओं की स्तुति पूजाभक्ति आदि में प्रवृत्ति होती है । हरिवंशपुराण 58.62, 65