सूत्रकृतांग
From जैनकोष
द्वादशांग श्रुत का दूसरा भेद । इसमें छत्तीस हजार पद है, जिनमें स्वसमय और पर समय का वर्णन दिया गया है । महापुराण 34. 136, हरिवंशपुराण 2.92, 10.28
द्वादशांग श्रुत का दूसरा भेद । इसमें छत्तीस हजार पद है, जिनमें स्वसमय और पर समय का वर्णन दिया गया है । महापुराण 34. 136, हरिवंशपुराण 2.92, 10.28