योगसार - अजीव-अधिकार गाथा 71
From जैनकोष
आकाश एवं पुद्गल द्रव्यों के प्रदेशों की संख्या -
प्रदेशा नभसोs नन्ता अनन्तानन्तमानका: ।
पुद्गलानां जिनैरुक्ता: परमाणुरनंशक: ।।७०।।
अन्वय :- जिनै: नभस: अनन्ता: पुद्गलानां अनंतानंत-मानका: प्रदेशा: उक्ता:, परमाणु: अनंशक: ।
सरलार्थ :- जिनेन्द्र देव ने आकाश द्रव्य के अनंत और पुद्गल द्रव्यों के अनन्तानन्त प्रदेश कहे हैं । उसीतरह पुद्गल परमाणु को अप्रदेशी अर्थात् एक प्रदेशी कहा है ।