परिनिर्वाणकल्याणपूजा
From जैनकोष
तीर्थंकरों के अन्तिम शरीर से सम्बन्ध रखने वाली पूजा । इस पूजा को चारों निकायों के देव अपने-अपने इन्द्रों के नेतृत्व में करते हैं । इस पूजा के पश्चात् मोक्षगामी जीवों के शरीर क्षण भर में बिजली के समान आकाश को दैदीप्यमान करते हुए विलीन हो जाते हैं । हरिवंशपुराण 65.11-12