प्रतिहरण
From जैनकोष
स.सा./ता.वृ/306/388/10 प्रतिहरणं मिथ्यात्वरागादिदोषेषु निवारणं । = मिथ्यात्व रागादि दोषों का निवारण करना प्रतिहरण कहलाता है ।
स.सा./ता.वृ/306/388/10 प्रतिहरणं मिथ्यात्वरागादिदोषेषु निवारणं । = मिथ्यात्व रागादि दोषों का निवारण करना प्रतिहरण कहलाता है ।