सदृश
From जैनकोष
1. एक ग्रह‒देखें ग्रह ।
2. पं.ध./पू.327 जीवस्य यथा ज्ञानं परिणाम: परिणमस्तदेवेति। सदृशस्योदाहृतिरितिजातेरनतिक्रमत्वतो वाच्या।327। =जैसे जीव का ज्ञानरूपपरिणामते परिणमन करता हुआ प्रतिसमय ज्ञानरूप ही रहता है। यही ज्ञानत्व जाति का उल्लंघन न करने से सदृश का उदाहरण है।