रत्नमुक्तावली व्रत
From जैनकोष
हरिवंशपुराण/34/72-73 एक उपवास, एक पारणा, दो उपवास, एक पारणा, एक उपवास, एक पारणा इत्यादि नीचे लिखी संख्या के अनुसार 284 उपवास करें और बीच के (,) वाले स्थानों में एक एक पारणा करें । यंत्र - 1,2,1,3,1,4,1,5,1,6,1,7,1,8,1,9,1,10,1,11,1,12,1,13,1,14,1,15,1,16,1,15,1,14,1,13,1,12,1,11,1,10,1,9,1,8,1,7,1,6,1,5,1,4,1,3,1,2,1, ।