अनुलोम
From जैनकोष
(पंचाध्यायी / पूर्वार्ध श्लोक संख्या २८८/भाषाकार) सामान्यकी मुख्यता तथा विशेषकी गौणता करनेसे जो अस्तिनास्तिरूप वस्तु प्रतिपादित होती है, उसको अनुलोमक्रम कहते हैं।
(पंचाध्यायी / पूर्वार्ध श्लोक संख्या २८८/भाषाकार) सामान्यकी मुख्यता तथा विशेषकी गौणता करनेसे जो अस्तिनास्तिरूप वस्तु प्रतिपादित होती है, उसको अनुलोमक्रम कहते हैं।