== सिद्धांतकोष से ==
देखें सत्य ।
पूर्व पृष्ठ
अगला पृष्ठ
पाँच पापों में दूसरा पाप-प्राणियों का अहितकर वचन । महापुराण 2.23, हरिवंशपुराण 58.130 देखें पाप