सुन ज्ञानी प्राणी, श्री गुरु सीख सयानी
From जैनकोष
(राग सोरठ)
सुन ज्ञानी प्राणी, श्री गुरु सीख सयानी ।।टेक ।।
नरभव पाय विषय मति सेवो, ये दुरगति अगवानी ।।सुन. ।।
यह भव कुल यह तेरी महिमा, फिर समझी जिनवानी ।
इस अवसर में यह चपलाई, कौन समझ उर आनी ।।१ ।।सुन. ।।
चंदन काठ-कनक के भाजन, भरि गंगा का पानी ।
तिल खलि रांधत मंदमती जो, तुझ क्या रीस बिरानी ।।२ ।।सुन. ।।
`भूधर' जो कथनी सो करनी, यह बुद्धि है सुखदानी ।
ज्यों मशालची आप न देखै, सो मति करै कहानी ।।३ ।।सुन. ।।