वर्णीजी-प्रवचन:ज्ञानार्णव - श्लोक 1825
From जैनकोष
एतानि सप्तसैन्यानि पालितान्यमरेश्वरै: ।
नमंति ते पदद्वंद्वं नतिविज्ञप्तिपूर्वकम् ।।1825।।
सप्त सेनाओं का जात सुरेश के प्रति नमन―यह 7 प्रकार की सेना है । यह परंपरा से पूर्ण थी, इंद्रों के द्वारा पालित की गई है । अर्थात् आप से पहिले जो इंद्र था उस इंद्र ने समस्त सेना को बड़ी प्रीति से पालन किया है । यह सब सेना केवल वैभवरूप है, इंद्रों को अपनी रक्षा के लिए इस सेना की जरूरत नहीं है । ये 7 प्रकार को सेनायें हे नाथ ! आप से निवेदन कर रही हैं ये सब आपको कुछ विज्ञप्ति करते हुए आपको नमस्कार कर रहे हैं ।