वर्णीजी-प्रवचन:मोक्षशास्त्र - सूत्र 6-18
From जैनकोष
स्वभावमार्दवं च ।। 6-18 ।।
(75) मनुष्यायु के आस्रव का व्यापक कारण―उपदेश के बिना स्वभाव से ही परिणामों में कोमलता होना मनुष्यायु का आस्रव कराता है । इस सूत्र से पूर्व सूत्र में भी मनुष्यायु का आस्रव कारण बताया गया, और यहां भी मनुष्यायु के आस्रव में ही सूत्र बताया है । तो ये दोनों सूत्र कहे जा सकते थे, इनको अलग क्यों बनाया गया? इस सूत्र को जो अलग रखा गया उससे एक रहस्य जाहिर होता है कि स्वभाव में मृदुता मनुष्यायु के आस्रव का कारण तो है ही पर देवायु के आस्रव का भी कारण है । तो इस सूत्र का संबंध आगे कहे जाने वाले देवायु
के आस्रव कारणों के साथ लगता है ।