अवच्छिन्न
From जैनकोष
अन्य धर्मों में व्यावृत्ति पूर्वक निज स्वरूप का निश्चय कराने वाले धर्म विशेष की संयुक्तता को अवच्छिन्न कहते हैं। जैसे - घट `घटत्व' धर्म से अवच्छिन्न है, क्योंकि यह धर्म, पटत्व धर्म से व्यावृत्ति पृर्वक घट के स्वरुप का निश्चय कराता है। इतना विशेष है कि `त्व' प्रत्यय युक्त सामान्य धर्म की संयुक्तता ही यहाँ इष्ट है; लाल, नीले आदि विशेष धर्मों की नहीं।