धन
From जैनकोष
- लक्षण
सर्वार्थसिद्धि/7/29/368/9 धनं गवादि। =धन से गाय आदि का ग्रहण होता है। ( राजवार्तिक/7/29/555/9 ), ( बोधपाहुड़/टीका/46/111/8 )
- आय का वर्गीकरण―देखें दान - 6।
- दानार्थ भी धन संग्रह का कथंचित् विधि निषेध―देखें दान - 6।
- पदधन, सर्वधन आदि―देखें गणित - II.5.3।