धनंजय
From जैनकोष
सिद्धांतकोष से
- विजयार्ध की उत्तरश्रेणी का एक नगर–देखें विजयार्ध ।
- दिगंबरांनाय के एक कवि थे। आपने द्विसंधानकाव्य और नाममाला कोश लिखे हैं। समय – डॉ. के. बी. पाठक के अनुसार आपका समय ई. 1123-1140 है। परंतु पं. महेंद्र कुमार व पं. पन्नालाल के अनुसार ई. 8। ( सिद्धि विनिश्चय/प्र.37/पं.महेंद्र ), ( ज्ञानार्णव/प्र.6/पं.पन्नालाल )
पुराणकोष से
(1) अर्जुन । हरिवंशपुराण - 50.94 देखें अर्जुन
(2) विद्याधर विनमि का पुत्र । हरिवंशपुराण - 22.104
(3) विजयार्ध की दक्षिणश्रेणी के मेधपुर-नगर का नृप । इसकी पुत्री का नाम वनश्री था । महापुराण 71. 252-253, हरिवंशपुराण - 33.135
(4) राजा धरण का दूसरा पुत्र । हरिवंशपुराण - 48.50
(5) राजा जरासंध का पुत्र । हरिवंशपुराण - 52.36
(6) विजयार्ध-पर्वत की उत्तरश्रेणी का एक नगर । महापुराण 19. 64, हरिवंशपुराण - 22.86
(7) महारत्नपुर-नगर का एक विद्याधर-राजा । महापुराण 62.68, पांडवपुराण 4.27
(8) धातकीखंड के पूर्व विदेहक्षेत्र में पुष्कलावती-देश की पुंडरीकिणी-नगरी का राजा । यह बलभद्र-महाबल और नारायण-अतिबल का पिता था । महापुराण 7.80-82
(9) विदेहक्षेत्र की पुंडरीकिणी-नगरी का निवासी एक सेठ । यह जयदत्ता का पिता था । धनश्री इसकी छोटी बहिन थी । जयदत्ता का विवाह वही के एक सेठ सर्वदयित से हुआ था । धनश्री का विवाह भी वही के दूसरे सेठ सर्वसमुद्र के साथ हुआ था । इसने मुंडरीकिणी नगरी के राजा यशपाल को रत्नों का उपहार दिया था । महापुराण 47. 191-200
(10) जंबूद्वीप के भरतक्षेत्र में कुरुजांगल देश के हस्तिनापुर नगर का राजा । महापुराण 70.160