प्रथम नरक का प्रथम पटल ; देखें नरक - 5 तथा रत्नप्रभा ।
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धर्मा पृथिवी का प्रथम इंद्रक बिल । इसकी चारो दिशाओं मई उनचास-उनचास और प्रत्येक विदिशा में अड़तालीस-अड़तालीस श्रेणिबद्ध बिल है । हरिवंशपुराण 4.76, 87, 89