शक्ति: Difference between revisions
From जैनकोष
mNo edit summary |
(Imported from text file) |
||
Line 22: | Line 22: | ||
== पुराणकोष से == | == पुराणकोष से == | ||
<div class="HindiText"> <p id="1"> (1) दान-दातार के सात गुणों में दूहरा गुण । दान देने में प्रमाद नहीं करना दाता का शक्ति-गुण कहलाता है । <span class="GRef"> (महापुराण 20.82-83) </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1"> (1) दान-दातार के सात गुणों में दूहरा गुण । दान देने में प्रमाद नहीं करना दाता का शक्ति-गुण कहलाता है । <span class="GRef"> (महापुराण 20.82-83) </span></p> | ||
<p id="2">(2) एक शस्त्र । लक्ष्मण इसी से आहत हुए थे । <span class="GRef"> (महापुराण 44. 227), </span><span class="GRef"> (पद्मपुराण 62.75-82) </span></p> | <p id="2">(2) एक शस्त्र । लक्ष्मण इसी से आहत हुए थे । <span class="GRef"> (महापुराण 44. 227), </span><span class="GRef"> ([[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_62#75|पद्मपुराण - 62.75-82]]) </span></p> | ||
<p id="3">(3) बल । यह तीन प्रकार का होता है― मंत्रशक्ति, उत्साहशक्ति और प्रभुशक्ति । <span class="GRef"> (महापुराण 68.60) </span></p> | <p id="3">(3) बल । यह तीन प्रकार का होता है― मंत्रशक्ति, उत्साहशक्ति और प्रभुशक्ति । <span class="GRef"> (महापुराण 68.60) </span></p> | ||
<p id="4">(4) हस्तिनापुर नगर का एक कौरववंशी राजा । शतकी इसकी रानी और पराशर इसका पुत्र था । <span class="GRef"> (महापुराण 70.101-102) </span></p> | <p id="4">(4) हस्तिनापुर नगर का एक कौरववंशी राजा । शतकी इसकी रानी और पराशर इसका पुत्र था । <span class="GRef"> (महापुराण 70.101-102) </span></p> |
Revision as of 22:35, 17 November 2023
सिद्धांतकोष से
शक्ति के भेद व लक्षण
(समयसार / आत्मख्याति/ परिशिष्ट/47) शक्तियाँ-जीव द्रव्य में 47 शक्तियों का नाम निर्देश किया गया है, यथा-1. जीवत्व, 2. चितिशक्ति, 3. दृशिशक्ति, 4. ज्ञानशक्ति, 5. सुखशक्ति, 6. वीर्यशक्ति, 7. प्रभुत्व, 8. विभुत्व, 9. सर्वदर्शित्व, 10. सर्वज्ञत्व, 11. स्वच्छत्व, 12. प्रकाशशक्ति, 13. असंकुचित विकाशत्व, 14. अकार्यकारण, 15. परिणम्य परिणामकत्व, 16. त्यागोपादान शून्यत्व, 17. अगुरुलघुत्व, 18. उत्पाद व्यय ध्रौव्यत्व, 19. परिणाम, 20. अमूर्तत्व, 21. अकर्तृत्व, 22. अभोक्तृत्व, 23. निष्क्रियत्व, 24. नियत प्रदेशत्व, 25. सर्वधर्म व्यापकत्व, 26. साधारणासाधारण धर्मत्व, 27. अनंत धर्मत्व, 28. विरुद्ध धर्मत्व, 29. तत्त्व शक्ति, 30. अतत्त्व शक्ति, 31. एकत्व, 32. अनेकत्व, 33. भावशक्ति, 34. अभावशक्ति, 35. भावाभावशक्ति, 36. अभावभावशक्ति, 37. भावभावशक्ति, 38. अभावभावशक्ति, 39. भावशक्ति, 40. क्रियाशक्ति, 41. कर्मशक्ति, 42. कर्तृशक्ति, 43. करणशक्ति, 44. संप्रदान शक्ति, 45. अपादान शक्ति, 46. अधिकरण शक्ति, 47. संबंध शक्ति।
स्वभाव व शक्ति निर्देश
(समयसार / आत्मख्याति/119) न हि स्वतोऽसती शक्ति: कर्तुमन्येन पार्यते।...न हि वस्तुशक्तय: परमपेक्षंते। = (वस्तु में) जो शक्ति स्वत: न हो उसे अन्य कोई नहीं कर सकता। वस्तु की शक्तियाँ पर की अपेक्षा नहीं रखतीं।
(न्यायविनिश्चय/वृ./2/18/37) पर उद्धृत-शक्ति: कार्यानुमेया हि व्यक्तिदर्शनहेतुका। = शक्ति का कार्य पर से अनुमान किया जाता है और व्यक्ति का प्रत्यक्ष दर्शन होता है।
पुराणकोष से
(1) दान-दातार के सात गुणों में दूहरा गुण । दान देने में प्रमाद नहीं करना दाता का शक्ति-गुण कहलाता है । (महापुराण 20.82-83)
(2) एक शस्त्र । लक्ष्मण इसी से आहत हुए थे । (महापुराण 44. 227), (पद्मपुराण - 62.75-82)
(3) बल । यह तीन प्रकार का होता है― मंत्रशक्ति, उत्साहशक्ति और प्रभुशक्ति । (महापुराण 68.60)
(4) हस्तिनापुर नगर का एक कौरववंशी राजा । शतकी इसकी रानी और पराशर इसका पुत्र था । (महापुराण 70.101-102)