Test 5a
From जैनकोष
गुणस्थान | संभव योग | असंभव योग के नाम |
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मिथ्यादृष्टि |
13 |
आहारक, आहारक मिश्र = 2 |
सासादन |
13 |
आहारक, आहारक मिश्र = 2 |
मिश्र |
10 |
आहारक, आहारक मिश्र, औदारिक, वैक्रियकमिश्र, कार्मण = 5 |
असंयत |
13 |
आहारक, आहारक मिश्र = 2 |
देशविरत |
9 |
औदारिक मिश्र, वैक्रियक व वैक्रियक मिश्र, आहारक व आहारक मिश्र, कार्मण =6 |
प्रमत्त |
11 |
औदारिक मिश्र, वैक्रियक, वैक्रियक मिश्र, कार्मण = 4 |
अप्रमत्त |
9 |
औदारिक मिश्र, वैक्रियक व वैक्रियक मिश्र, आहारक व आहारक मिश्र, कार्मण =6 |
अपूर्वकरण |
9 |
औदारिक मिश्र, वैक्रियक व वैक्रियक मिश्र, आहारक व आहारक मिश्र, कार्मण =6 |
अनिवृत्तिकरण |
9 |
औदारिक मिश्र, वैक्रियक व वैक्रियक मिश्र, आहारक व आहारक मिश्र, कार्मण =6 |
सूक्ष्म साम्पराय |
9 |
औदारिक मिश्र, वैक्रियक व वैक्रियक मिश्र, आहारक व आहारक मिश्र, कार्मण =6 |
उपशांत |
9 |
औदारिक मिश्र, वैक्रियक व वैक्रियक मिश्र, आहारक व आहारक मिश्र, कार्मण =6 |
क्षीणकषाय |
9 |
औदारिक मिश्र, वैक्रियक व वैक्रियक मिश्र, आहारक व आहारक मिश्र, कार्मण =6 |
सयोगि |
7 |
वैक्रियक, वैक्रियक मिश्र, आहारक, आहारक मिश्र, असत्य व उभय मनोवचनयोग = 8 |
! प्रमाण पृष्ठ नं. !! योग स्थान !! जघन्य या उत्कृष्ट !! काल जघन्य !! काल उत्कृष्ट !! सम्भव जीव समास !! उस पर्याय का विशेष समय | ||||||
421, 424 | उपपाद | जघन्य | 1 समय | 1 समय | सूक्ष्म, बादर, एक, द्वी, त्रि. चतुरिन्द्रिय | विग्रहगति में वर्तमान व तद्भवस्थ होने के प्रथम समय |
428 | उपपाद | उत्कृष्ट | 1 समय | 1 समय | पंचेेद्रिय, असंज्ञी, संज्ञी, लब्ध्यपर्याप्त, निर्वृत्यपर्याप्त | तद्भवस्थ होने के प्रथम समय में |
421, 425 | एकांतानुवृद्धि | जघन्य | 1 समय | 1 समय | उपरोक्त सर्व जीव लब्ध्यपर्याप्त, निर्वृत्यपर्याप्त | तद्भवस्थ होने के द्वितीय समय |
428 | उत्कृष्ट | 1 समय | 1 समय | उपरोक्त सर्व जीव लब्ध्यपर्याप्त, निर्वृत्यपर्याप्त | एकांतानुवृद्धि योगकाल का अन्तिम समय | |
429 | उत्कृष्ट | 1 समय | 1 समय | उत्पन्न होने के अन्तर्मुहुर्त पश्चात अनन्तर समय | ||
423 | जघन्य | 1 समय | 4 समय | द्वी-संज्ञी निर्वृत्यपर्याप्त | पर्याप्ति का प्रथम समय पर्याप्ति के निकट | |
423 | उत्कृष्ट | 1 समय | 4 समय | द्वी-संज्ञी निर्वृत्यपर्याप्त | पर्याप्ति का प्रथम समय पर्याप्ति के निकट | |
431, 422, 427 | परिणाम | जघन्य | 1 समय | 4 समय | सूक्ष्म, बादर, एक-संज्ञी निर्वृत्यपर्याप्त | छठी पर्याप्ति के प्रथम समय से आगे |
426 | परिणाम | जघन्य | 1 समय | 4 समय | सूक्ष्म, बादर, एक. लब्ध्यपर्याप्त | परभविक आयु बन्ध योग्य काल से उपरिम भवस्थिति |
427, 430 | परिणाम | जघन्य | 1 समय | 4 समय | सूक्ष्म, बादर, एक. लब्ध्यपर्याप्त | आयु बन्ध योग्य काल के प्रथम समय से तृतीय भाग तक में वर्तमान जीव |
422, 423 | परिणाम | जघन्य | 1 समय | 2 समय | सूक्ष्म, बादर, एक. निर्वृत्यपर्याप्त | परंपरा शेष पांच पर्याप्तियों से पर्याप्त हो चुकने पर |
429, 430 | परिणाम | जघन्य | 1 समय | 2 समय | द्वी-संज्ञी लब्ध्यपर्याप्त | स्व स्व भवस्थिति के तृतीय भाग में वर्तमान आयुबन्ध योग्य प्रथम समय से भव के अन्त तक |
422 | परिणाम | जघन्य | 1 समय | 2 समय | सूक्ष्म, बादर, एक-संज्ञी, लब्ध्यपर्याप्त . | स्व स्व भवस्थिति के तृतीय भाग में वर्तमान आयुबन्ध योग्य प्रथम समय से भव के अन्त तक |
430 | परिणाम | जघन्य | 1 समय | 2 समय | द्वी-संज्ञी लब्ध्यपर्याप्त | जीवन के अन्तिम तृतीय भाग के प्रथम समय से विश्रमण काल के अनन्तर अधस्तन समय तक |
431 | परिणाम | उत्कृष्ट | 1 समय | 2 समय | द्वी-संज्ञी, निर्वृत्यपर्याप्त | परम्परा पांचों पर्याप्तियों से पर्याप्त छह में से एक भी पर्याप्ति के अपूर्ण रहने तक भी नहीं होता। |