• जैनकोष
    जैनकोष
  • Menu
  • Main page
    • Home
    • Dictionary
    • Literature
    • Kaavya Kosh
    • Study Material
    • Audio
    • Video
    • Online Classes
    • Games
  • Share
    • Home
    • Dictionary
    • Literature
    • Kaavya Kosh
    • Study Material
    • Audio
    • Video
    • Online Classes
    • Games
  • Login

जैन शब्दों का अर्थ जानने के लिए किसी भी शब्द को नीचे दिए गए स्थान पर हिंदी में लिखें एवं सर्च करें

अंतर्द्धान ऋद्धि

From जैनकोष

 Share 



तपश्चरणके प्रभावसे कदाचित् किन्हीं योगीजनोंको कुछ चामत्कारिक शक्तियाँ प्राप्त हो जाती हैं। उन्हें ऋद्धि कहते हैं। इसके अनेकों भेद-प्रभेद हैं।


तिलोयपण्णत्ति अधिकार संख्या ४/१०३१-१०३२

सेलसिलातरुपमुहाणब्भंतरं होइदूण गमणं व। जं वच्चदि सा ऋद्धी अप्पडिघादेत्ति गुणणामं ।१०३१। जं हवदि अद्दिसत्तं अंतद्धाणाभिधाणरिद्धी सा। जुगवें बहुरूवाणि जं विरयदि कामरूवरिद्धी सा ।१०३२।

= जिस ऋद्धिके बलसे शैल, शिला और वृक्षादि के मध्य में होकर आकाश के समान गमन किया जाता है, वह सार्थक नामवाली अप्रतिघात ऋद्धि है ।१०३१। जिस ऋद्धिसे अदृश्यता प्राप्त होती है, वह अन्तर्धान नामक ऋद्धि है; और जिससे युगपत् बहुत-से रूपों को रचता है, वह कामरूप ऋद्धि है ।१०३२। (राजवार्तिक अध्याय संख्या ३/३६/३/२०३/५); (चारित्रसार पृष्ठ संख्या २१९/६)

ऋद्धियों के बारे में विस्तार से जानने के लिये देखें ऋद्धि।



पूर्व पृष्ठ

अगला पृष्ठ

Retrieved from "http://www.jainkosh.org/w/index.php?title=अंतर्द्धान_ऋद्धि&oldid=105464"
Categories:
  • अ
  • चरणानुयोग
JainKosh

जैनकोष याने जैन आगम का डिजिटल ख़जाना ।

यहाँ जैन धर्म के आगम, नोट्स, शब्दकोष, ऑडियो, विडियो, पाठ, स्तोत्र, भक्तियाँ आदि सब कुछ डिजिटली उपलब्ध हैं |

Quick Links

  • Home
  • Dictionary
  • Literature
  • Kaavya Kosh
  • Study Material
  • Audio
  • Video
  • Online Classes
  • Games

Other Links

  • This page was last edited on 8 December 2022, at 09:28.
  • Privacy policy
  • About जैनकोष
  • Disclaimers
© Copyright Jainkosh. All Rights Reserved
Powered by MediaWiki