अग्रहण वर्गणा
From जैनकोष
धवला 14/5, 6, 719/543/10 पंचण्णं सरीराणं जा गेज्झा सा गहणपाओग्गा णाम । जा पुण तासिमगेज्झा (सा) अगहण पाओग्गा णाम । = पाँच शरीरों के जो ग्रहण योग्य है वह ग्रहणप्रायोग्य कहलाती है । परंतु जो उनके ग्रहण योग्य नहीं है वह अग्रहणप्रायोग्य कहलाती है । ( धवला 14/5, 6, 82/61/3 )।
अधिक जानकारी के लिए देखें वर्गणा - 1.4, 1.6 तथा 1.7।