अजीव बंध
From जैनकोष
सर्वार्थसिद्धि/1/4/14/4 आत्मकर्मणोरन्योन्यप्रवेशानुप्रवेशात्मकोऽजीव: । = आत्मा और कर्म के प्रदेशों का परस्पर मिल जाना अजीव बंध है । ( राजवार्तिक/1/4/17/26/29 ) ।
- अधिक जानकारी के लिये देखें बंध ।
सर्वार्थसिद्धि/1/4/14/4 आत्मकर्मणोरन्योन्यप्रवेशानुप्रवेशात्मकोऽजीव: । = आत्मा और कर्म के प्रदेशों का परस्पर मिल जाना अजीव बंध है । ( राजवार्तिक/1/4/17/26/29 ) ।
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