अज्ञातसिद्ध
From जैनकोष
सिद्धि विनिश्चय/मूल/6/32/429 एकलक्षणसामर्थ्याद्धेत्वाभासा निवर्तिता:। विरुद्धानैकांतिकासिद्धाज्ञाताकिंचित्करादय:।32। =
अन्यथानुपपत्ति रूप एक लक्षण की सामर्थ्य से ही विरुद्ध, अनैकांतिक, असिद्ध अज्ञात व अकिंचित्कर आदि हेत्वाभास उत्पन्न होते हैं। अर्थात् उपरोक्त लक्षण की वृत्ति विपरीत आदि प्रकारों से पायी जाने के कारण ही ये विरुद्ध आदि हेत्वाभास हैं।32|
हेत्वाभास को विस्तार से जानने के लिये देखें हेतु ।