मिथ्यात्व के पाँच भेदों में प्रथम भेद― पाप और धर्म के ज्ञान में दूरवर्ती जीवों के मिथ्यात्वकर्म के उदय से उत्पन्न मिथ्यात्व रूप परिणाम । महापुराण 62.297-298 देखें मिथ्यात्व
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