अदृष्टांत वचनोदाहरणाभास
From जैनकोष
न्यायदीपिका/3/68/108/7 अदृष्टांतवचनं तु, अन्वयव्याप्तौ व्यतिरेकदृष्टांतवचनम्, व्यतिरेकव्याप्तावंवयदृष्टांतवचनं च, उदाहरणाभासौ। स्पष्टमुदाहरणम् । =उनमें पहले का उदाहरण इस प्रकार है—जो जो अग्निवाला होता है वह-वह धूमवाला होता है, जैसे रसोईघर। जहाँ-जहाँ धूम नहीं है वहाँ-वहाँ अग्नि नहीं है जैसे–तालाब। इस तरह व्याप्य और व्यापक का विपरीत (उलटा) कथन करना दृष्टांत का असम्यग्वचन है। ‘अदृष्टांत वचन’ (जो दृष्टांत नहीं है उसका सम्यग्वचन होना) नाम का दूसरा उदाहरणाभास इस प्रकार है–अन्वय व्याप्ति में व्यतिरेक दृष्टांत कह देना, और व्यतिरेक व्याप्ति में अन्वय दृष्टांत बोलना, उदाहरणाभास है, इन दोनों के उदाहरण स्पष्ट हैं।
- विषय को विस्तार से समझने के लिये देखें दृष्टांत ।