अनित्थं
From जैनकोष
सर्वार्थसिद्धि/5/24/296/1 वृत्तव्यस्रचतुरस्रायतपरिमंडलादीनामित्थंलक्षणम् । अतोऽन्यन्मेघादीनां संस्थानमनेकविधमित्थमिदमिति निरूपणाभावादनित्थंलक्षणम् । = जिसके विषय में 'यह संस्थान इस प्रकार का है' यह निर्देश किया जा सके वह इत्थंलक्षण संस्थान है। वृत्त, त्रिकोण, चतुष्कोण, आयत और परिमंडल, आदि ये सब इत्थंलक्षण संस्थान हैं। तथा इसके अतिरिक्त मेघ आदि के आकार जो कि अनेक प्रकार के हैं और जिनके विषय में 'यह इस प्रकार का है।' यह नहीं कहा जा सकता वह अनित्थंलक्षण संस्थान है। ( राजवार्तिक/5/24/13/489/1 )।
- देखें संस्थान-4 ।