अनुजीवी गुण
From जैनकोष
जैन सिद्धांत प्रवेशिका/178-17
भाव स्वरूप गुणों को अनुजीवी गुण कहते हैं। जैसे–सम्यक्त्व, चारित्र, सुख, चेतना, स्पर्श, रस, गंध, वर्ण आदिक।178। वस्तु के अभाव स्वरूप धर्म को प्रतिजीवी गुण कहते हैं। जैसे–नास्तित्व, अमूर्तत्व, अचेतनत्व वगैरह।17
देखें गुण - 1।