अप्रतिभा
From जैनकोष
न्यायदर्शन/सूत्र/मूल/52/2/18
उत्तरस्थाप्रतिपत्तिप्रतिभा ॥18॥
= परपक्ष का खंडन करना उत्तर है। सो यदि किसी कारण से वादी समय पर उत्तर नहीं देता तो यह उसका अप्रतिभा नामक निग्रहस्थान है।
( श्लोकवार्तिक पुस्तक 4/न्या.245/414/14)
न्यायदर्शन/सूत्र/मूल/52/2/18
उत्तरस्थाप्रतिपत्तिप्रतिभा ॥18॥
= परपक्ष का खंडन करना उत्तर है। सो यदि किसी कारण से वादी समय पर उत्तर नहीं देता तो यह उसका अप्रतिभा नामक निग्रहस्थान है।
( श्लोकवार्तिक पुस्तक 4/न्या.245/414/14)