अर्चिमाली
From जैनकोष
(1) विजयार्ध पर्वत की दक्षिणश्रेणी में स्थित किन्नरोद्गीत नगर का राजा । इसकी रानी प्रभावती से ज्वलनवेग और अशनिवेग नाम के दो पुत्र थे । इसने बड़े पुत्र को राज्य तथा प्रज्ञप्ति विद्या और छोटे पुत्र को युवराज पद देकर अरिंदम गुरु से दीक्षा धारण कर ली थी । हरिवंशपुराण - 19.80-82
(2) अशनिवेग विद्याधर का आज्ञाकारी देव । इसने अशनिवेग की आज्ञा से राजा वसुदेव को हरकर विजयार्ध पर्वत पर कुंजराबर्त नगर के सर्वकामिक उपवन में छोड़ा था । वायुवेग विद्याधर इसका साथी था । हरिवंशपुराण - 19.67-71