अर्हद्बलि
From जैनकोष
( षट्खंडागम पुस्तक 1/प्र.14,28/H.L.Jain)
पूर्वदेशस्थ पुंड्रवर्धन देश के निवासी आप बड़े भारी संघनायक थे। पंचवर्षीय युग-प्रतिक्रमणके समय आपने दक्षिण देशस्थ महिमा नगर (जिला सतारा) में एक बड़ा भारी यति सम्मेलन किया था। यतियों में कुछ पक्षपातकी गंध देखकर उसी समय आपने मूल संघको पृथक् पृथक् अनेक संघो में विभक्त कर दिया था ॥14॥ आ धरसेन का पत्र पाकर इस सम्मेलन में से ही आपने पुष्पदंत और भूतबली नामक दो नव दीक्षित साधुओं को उनको सेवा में भेजा था। एकदेशांगधारी होते हुए भी संघ-भेद निर्माता होने के कारण आपका नाम श्रुतधरों की परंपरामें नहीं रखा गया है। समय-वी.नि.565-593 (ई.38-66)।
(विशेष देखें परिशिष्ट - 2.7)