अवगाढ सम्यग्दर्शन
From जैनकोष
सम्यग्दर्शन के दस भेदों में से नौवाँ भेद अवगाढ़ सम्यग्दर्शन है।
आत्मानुशासन/14 दृष्टि: सांगांगबाह्यप्रवचनमवगाह्योत्थिता यावगाढा। = अंगों के साथ अंगबाह्य श्रुत का अवगाहन करके जो सम्यग्दर्शन उत्पन्न होता है उसे अवगाढ़सम्यग्दर्शन कहते हैं। ( दर्शनपाहुड़/ टीका/12/12/20)।
सम्यग्दर्शन के अन्य भेदों की जानकारी हेतु देखें सम्यग्दर्शन - I.1.2।