अवद्य
From जैनकोष
राजवार्तिक अध्याय 7/9/2/537/2/5
-`गर्ह्यमवद्यम्'
= अवद्य अर्थात् गर्ह्य निंद्य। जो गर्हा अर्थात् निन्दा के योग्य है।
राजवार्तिक अध्याय 7/9/2/537/2/5
-`गर्ह्यमवद्यम्'
= अवद्य अर्थात् गर्ह्य निंद्य। जो गर्हा अर्थात् निन्दा के योग्य है।