अवलंबनाकरण
From जैनकोष
धवला पुस्तक 10/4,2,4,112/330/11
किमवलंबणाकरणं णाम। परभविआउअवरिमट्ठिदिदव्वस्स ओकड्ढणाए हेट्ठा णिवदणमवलंबणाकरणं णाम। एदस्स ओक्कड्डणसण्णा किण्ण कदा। ण उदयाभावेण उदयावलियवाहिरे अणिवदमाणस्स ओकड्डणा ववएसविरोहादो।
= प्रश्न - अवलंबनाकरण किसे कहते हैं? उत्तर - परभव संबंधी आयु की उपरिम स्थिति में द्रव्य का अपकर्षण द्वारा नीचे पतन करना अवलंबनाकरण कहा जाता है। प्रश्न - इसकी अपकर्षण संज्ञा क्यों नहीं की? उत्तर - नहीं, क्योंकि, परभाविक आयु का उदय नहीं होने से इस का उदयावलि के बाहर पतन नहीं होता, इसलिए इस की अपकर्षण संज्ञा करने का विरोध आता है। [आशय यह है कि परभव संबंधी आयु का अपकर्षण होने पर भी उसका पतन आबाधा काल के भीतर न होकर आबाधा से ऊपर स्थित स्थिति निषेकों में होता है। इसी से इसे अपकर्षण से जुदा बताया गया है।]