अवस्थित बंध
From जैनकोष
वर्तमान समय में जिन स्थितियों को बाँधता है, उन्हें अनंतर अतिक्रांत समय में घटी हुई या बढ़ी हुई बाँधी गयी स्थिति से उतनी ही बाँधता है, यह अवस्थित बंध है। देखें प्रकृति बंध - 1।
वर्तमान समय में जिन स्थितियों को बाँधता है, उन्हें अनंतर अतिक्रांत समय में घटी हुई या बढ़ी हुई बाँधी गयी स्थिति से उतनी ही बाँधता है, यह अवस्थित बंध है। देखें प्रकृति बंध - 1।