महापुराण/38/32 पूर्वार्द्ध आष्टाह्निको महः सार्वजनिको रूढ एव सः। = चौथा अष्टाह्निक यज्ञ है जिसे सब लोग करते हैं और जो जगत् में अत्यंत प्रसिद्ध है। पूजा के अन्य भेदों की जानकारी हेतु देखें पूजा - 1
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