आकाश भूत
From जैनकोष
तिलोयपण्णत्ति/6/46 भूदा इमे सरूवा पडिरूवा भूदउत्तमा होंति। पडिभूदमहाभूदा पडिछण्णकासभूदत्ति।46। = स्वरूप, प्रतिरूप, भूतोत्तम, प्रतिभूत, महाभूत, प्रतिच्छन्न और आकाशभूत, इस प्रकार ये सात भेद भूतों के हैं। ( त्रिलोकसार/269 )।
भूत जाति के व्यंतर देवों का एक भेद - देखें भूत ।