1. अर्हंत प्रणीत भेद-रत्नत्रय-प्रधान शास्त्रों को आगम कहते हैं, उनकी प्रधानता से कथन करना आगम शैली कहलाती है। - देखें पद्धति ; 2. द्रव्यार्थिक और पर्यायार्थिक नयों को भी आगम के नय कह जाता है। - देखें नय - I.1;
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