आप्ताभास
From जैनकोष
आप्त से इतर मिथ्या देव । ऐसे देव आप्तंमन्य (अपने को आप्त मानने के अभिमान में चूर) होते हैं । महापुराण 24.125, 39. 13, 42.41
आप्त से इतर मिथ्या देव । ऐसे देव आप्तंमन्य (अपने को आप्त मानने के अभिमान में चूर) होते हैं । महापुराण 24.125, 39. 13, 42.41