इतरेतराभाव
From जैनकोष
आप्तमीमांसा /पं.जयचंद्र/11
अन्य स्वभावरूप वस्तुतैं अपने स्वभाव का भिन्नपना याकूं इतरेतराभाव कहिये।
कषायपाहुड़ पुस्तक 1/1,13-14/$205/गाथा/105/251 विशेषार्थ-
एक द्रव्य की एक पर्याय का उसकी दूसरी पर्याय में जो अभाव है उसे अन्यापोह या इतरेतराभाव कहते हैं। (जैसे घट का पट में अभाव)।
अधिक जानकारी के लिये देखें अभाव-1.6