उच्चस्थान
From जैनकोष
नवधा भक्ति के अंतर्गत दूसरी भक्ति । इसमें पात्र को आहार के लिए पड़गाहने के पश्चात् उच्चस्थान पर बैठने के लिए उससे निवेदन किया जाता है । महापुराण 20.86-87
नवधा भक्ति के अंतर्गत दूसरी भक्ति । इसमें पात्र को आहार के लिए पड़गाहने के पश्चात् उच्चस्थान पर बैठने के लिए उससे निवेदन किया जाता है । महापुराण 20.86-87