उत्पन्नस्थानसत्त्व
From जैनकोष
गोम्मटसार कर्मकांड/भाषा/351/506/1
पूर्व पर्याय में जो बिना उद्वेलना [कर्षण द्वारा अन्य प्रकृतिरूप करके नाश करना] व उद्वेलना से सत्त्व हुआ, उस उस उत्तर पर्याय में उत्पन्न हुआ, वहाँ उत्तरपर्याय में उस सत्त्व को उत्पन्न स्थान में सत्त्व कहते हैं। उस विवक्षित पर्याय में बिना उद्वेलना व उद्वेलना से जो सत्त्व होता है, उसको स्वस्थान में सत्त्व कहते हैं।
देखें सत्त्व - 1.2।