उद्वेल्लिम
From जैनकोष
यह तद्व्यतिरिक्त द्रव्य निक्षेप का एक भेद है।
धवला 9/4,1,65/272/13 गंथिम-वाइमादिदव्वाणमुव्वेल्लणेण जाददव्वमुव्वेल्लिमं णाम।
= ग्रंथिम, वाइम आदि द्रव्यों के उद्वेल्लन से उत्पन्न हुए द्रव्य उद्वेल्लिम कहलाते हैं। गूँथे हुए पुष्प आदि को ग्रंथिम कहते हैं। बुनने की क्रिया में उपयोगी सूप, पिटारी, आदि को वाइम कहते हैं।
विशेष जानकारी हेतु देखें निक्षेप - 5.9