ऋजुगति
From जैनकोष
धवला 13/5, 5, 120/378/4 आणुपुव्विउदयाभावेण उजुगदीए गमणाभावप्पसंगादो। =
ऋजुगति में आनुपूर्वी का उदय नहीं होता।
(विग्रहगति में नियम से कार्मणयोग होता है, पर ऋजुगति में कार्मणयोग न होकर औदारिकमिश्र और वैक्रियकमिश्र काय योग होता है।)(विग्रहगति में जीवों का आकार व संस्थान आनुपूर्वी नामकर्म के उदय से होता है, परंतु ऋजुगति में उसके आकार का कारण उत्तरभव की आयु का सत्त्व माना जाता है।)
अधिक जानकारी के लिये देखें विग्रहगति - 2।