ऋषि मंत्र
From जैनकोष
पूजाविधानादि के लिए सामान्य मंत्रों के अंतर्गत ऋषि मंत्र भी बोले जाते हैं।
महापुराण/40/ श्लोक नं.
ऋषि मन्त्र– सत्यजाताय नम:, अर्हज्जाताय नम:, निर्ग्रंथाय नम:, वीतरागाय नम:, महाव्रताय नम:, त्रिगुप्ताय नम:, महायोगाय नम:, विविध-योगाय नम:, विविधर्द्धये नम:, अंगधराय नम:, पूर्वधराय नम:, गणधराय नम:, परमर्षिभ्यो नमो नम:, अनुपम जाताय नमो नम:, सम्यग्दृष्टे सम्यग्दृष्टे भूपते भूपते नगरपते नगरपते कालश्रमण कालश्रमण स्वाहा, सेवाफलं षट्परमस्थानं भवतु, अपमृत्युविनाशनं भवतु, समाधिमरणं भवतु,।38-46।
अधिक जानकारी के लिये देखें मंत्र - 1.6।