एकेंद्रियजाति
From जैनकोष
सर्वार्थसिद्धि/8/11/389/5 यदुदयात्मा एकेंद्रिय इति शब्द्यते तदेकेंद्रियजातिनाम। एवं शेषेष्वपि योज्यम् । =जिसके उदय से आत्मा एकेंद्रिय कहा जाता है वह एकेंद्रिय जाति नामकर्म है। इसी प्रकार शेष जातियों में भी लागू कर लेना चाहिए। ( राजवार्तिक/8/11/2/576/13 )
नामकर्म की एक प्रकृति-देखें जाति (नामकर्म))