औस्तुभास
From जैनकोष
लवण समुद्र के बडवामुख आदि दिशा संबंधी पातालों के दोनों तरफ एक-एक पर्वत है। पूर्व दिशा के पाताल की पश्चिम दिशा में पर्वत का नाम (त्रिलोकसार गाथा 905-906) यहाँ पर जो व्यंतर रहता है उसका भी नाम औस्तुभास है।
- देखें बृहद् जैन शब्दार्णव द्वितीय. खंड ।