कच्छ परिंगित
From जैनकोष
अनगारधर्मामृत/8/98-111/822 .... निषेदुषः कच्छपवद्रिङ्रवा कच्छपरिंगितम्।100। .....। इति दोषोज्झिता कार्या वंदना निर्जरार्थिना।111। =
बैठे-बैठे इधर उधर रींगना कच्छपरिंगित दोष है।100।
कायोत्सर्ग/वंदना का एक अतिचार–देखें व्युत्सर्ग -11 ।