कथक
From जैनकोष
कथावाचक । यह राग आदि दोषों से रहित होकर अपने दिव्य वचनों के द्वारा हेय और उपादेय की निर्णायक त्रेसठ शलाका पुरुषों की कथाएँ कहकर निरपेक्ष भाव से भव्य जीवों का उपकार करता है । यह सदाचारी, प्रतिभासंपन्न, विषयज्ञ, अध्ययनशील, सहिष्णु और अभिप्राय विज्ञ होता है । महापुराण 1. 126-134,74.11-12