कपाटसमुद्घात
From जैनकोष
गोम्मटसार जीवकांड / जीवतत्त्व प्रदीपिका/544/953
केवल भाषार्थ—दंड—स्थितिदंड समुद्घात विषै एक जीव के प्रदेश वातवलय के बिना लोक की ऊँचाई किंचित् ऊन चौदह राजू प्रमाण है सो इस प्रमाणतैं लंबै बहुरि बारह अंगुल प्रमाण चौड़े गोल आकार प्रदेश हैं। स्थितिदंड के क्षेत्र को नवगुणा कीजिए तब उपविष्टदंड विषै क्षेत्र हो है। सो यहाँ 36 अंगुल चौड़ाई है। कपाट पूर्वाभिमुख स्थित कपाट समुद्घातविषै एक जीव के प्रदेश वातवलय बिना लोकप्रमाण तो लंबे हो हैं सो किंचित् ऊन चौदह राजू प्रमाण तो लंबे हो है, बहुरि उत्तर-दक्षिण दिशाविषैं लोक की चौड़ाई प्रमाण चौड़े हो हैं सो उत्तर-दक्षिण दिशाविषैं लोक सर्वत्र सात राजू चौड़ा है तातैं सात राजू प्रमाण चौड़े हो है। बहुरि बारह अंगुल प्रमाण पूर्व पश्चिम विषै ऊँचे हो हैं।
और देखें केवली - 7।