कफ
From जैनकोष
भगवती आराधना / मूल या टीका गाथा 1034
तिण्णि य वसंजलीओछच्चेव अंजलीओ पित्तस्स। सिंभोपित्तसमाणो लोहिदमद्धाढगं होदि ।1034।
= वसा नामक धातु 3 अंजलि प्रमाण, पित्त और श्लेष्म अर्थात् कफ छह-छह अंजलि प्रमाण और रुधिर ½ आढक है ।1034।
शरीर में कफ नामक धातु का निर्देश–देखें औदारिक - 1।