कालोदसागर
From जैनकोष
मध्यलोक का द्वितीय सागर । यह कृष्ण वर्ण का है और धातकीखंड द्वीप को सब ओर से घेरे हुए है । इसकी परिधि इकानवें लाख सत्तर हजार छ: सौ पाँच योजन से कुछ अधिक है तथा समस्त क्षेत्रफल पाँच लाख उनहत्तर हजार अस्सी योजन है । यहाँ के निवासी उदक, अश्व, पक्षी, शूकर, ऊँट, गौ, मार्जार और गज की मुखाकृतियों को लिये हुए होते हैं । इसमें चौबीस द्वीप आभ्यंतर सीमा में और चौबीस बाह्य सीमा में इस तरह कुल अड़तालीस द्वीप हैं । हरिवंशपुराण - 5.562-575, 628-629